न हार जीत का डर मुझे इसका फल तेरे हाथो में
बस मन में विश्वास यही एक बार तुम्हें पाउँगा मैं
जीवन की इस इस पीड़ा से उद्धार पाउँगा मैं
चरणों में तेरे दास बन बैठा रहु मैं
पुजारी तेरे मंदिर का तुमको ही निहारू मैं
मुझमें तुझमें बस भेद यही नारायण तुम नर मैं
मैं संसारी यह संसार तुम्हारे हाथो में